पंजाब में मौजूदा मानसून ने एक ऐतिहासिक तबाही का रूप ले लिया है। राज्य सरकार ने पूरे पंजाब को "आपदा प्रभावित" घोषित कर दिया है, क्योंकि बाढ़ का पैमाना 1988 के विनाशकारी सैलाब से भी ज़्यादा बताया जा रहा है।
राज्य के 23 जिलों में लगभग 1,400 गाँव जलमग्न हो चुके हैं और करीब 30 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारी तबाही की वजह से करोड़ों एकड़ फसलें नष्ट हो रही हैं और अब तक 20,000 से अधिक लोग निर्वासित हो चुके हैं।
गंगग्र (Ghaggar) और सतलुज जैसी नदियाँ खतरे के निशान के पास पहुंच चुकी हैं, कई बाँधों का जलस्तर अत्यधिक बढ़ा है।
जालंधर में सुबह‑सुबह ज़मीनें धंसने और घरों के गिरने की घटनाओं ने हालात और भयावह बना दिए हैं। प्रशासन ने तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी जारी की।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से ₹60,000 करोड़ की राहत उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है ताकि प्रभावितों को तुरंत सहायता मिल सके।
मुख्य बिंदु:
पूरे राज्य में बाढ़ की स्थिति भयावह, कई जिलों में जीवन अस्त-व्यस्त।
Ghaggar और Sutlej जैसी नदियाँ खतरे के निशान तक पहुंच गई हैं।
फसलें बर्बाद, ग्रामीण इलाकों में तबाही, मौतों का सिलसिला जारी।
सरकार बचाव, राहत और वित्तीय सहायता के लिए सक्रिय।
इस संकट के बीच, स्थानीय प्रशासन और सरकार की तरफ से जारी सतर्कता और बचाव प्रयास ज़िंदगी बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
No comments:
Post a Comment