Tuesday, 12 August 2025

राहुल बोले- बेजुबान पशु कोई समस्या नहीं, उन्हें हटाना क्रूरताः सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- 8 हफ्तों में दिल्ली- NCR के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजें



** समाचार सारांश:**

भारत का सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) 11–12 अगस्त, 2025 को दिल्ली–एनसीआर (जिसमें दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद शामिल हैं) में सड़क पर पड़े आवारा कुत्तों को अगले आठ हफ्तों में शेल्टर होम्स में भेजने का आदेश दिया है । न्यायालय ने कहा कि “शिशुओं और छोटे बच्चों को किसी भी हालत में पागल कुत्तों से खतरे में नहीं रहना चाहिए” और “भावनाओं को इसमें नहीं शामिल किया जाना चाहिए” । इसके साथ ही प्रशासन से कम से कम 5,000 कुत्तों की छांव हेतु शेल्टर बनाना, स्टाफ की व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी और दोहराए जाने वाले काटों (dog bite) की जानकारी हेतु हेल्पलाइन भी शुरू करने को कहा गया है ।

हालाँकि, इस आदेश का विरोध भी काफी देखा जा रहा है। जानवरों के अधिकारों के समर्थकों और विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदेश Animal Birth Control (ABC) Rules 2023, जो चिपटकर नसबंदी, टीकाकरण और कुत्तों को लौटाने पर जोर देते हैं, का उल्लंघन है । साथ ही, इस योजना को असंभव और अत्यंत महंगी बताया जा रहा है—प्रशासन के पास पर्याप्त जमीन, शेल्टर, धन या संसाधन नहीं हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार इसकी लागत लगभग ₹15,000 करोड़ तक हो सकती है ।

गाँधी परिवार के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने इस आदेश को "क्रूर" (cruel) बताते हुए कहा कि “बेजुबान जानवर समस्याएँ नहीं हैं, उन्हें मिटा देना क्रूरतापूर्ण है।” उन्होंने सुझाव दिया कि स्ट्रीट कुत्तों को स्टरलाइजेशन, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल के ज़रिए ही सुरक्षित रखा जा सकता है—“जनहित और पशु कल्याण एक साथ चलते हैं” ।

निष्कर्ष: यह मामला दो दृष्टिकोणों के बीच टकराव है—एक तरफ बच्चों और आम जनता की सुरक्षा, और दूसरी तरफ जानवरों के अधिकारों व सहयोगात्मक समाधान पर आधारित नीति। सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई के लिए 8-सप्ताह की समयसीमा दी है, लेकिन इससे जुड़ी व्यवहार्यता, इमारती ढांचे और नैतिकतावादी चिंताएँ जारी हैं।







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